कैसे यह सरकार चलेगी कैसे तुम चल पाओगे
घूंट लहू की पीती जनता कैसे तुम बच पाओगे
दिल में थे अरमान बहुत औ लाखों सपने देखे थे
पर तुम उन सपनों को पूरा कैसे अब कर पाओगो
कैसे यह सरकार चलेगी कैसे तुम चल पाओगे
सोंचा था महफूज रहेंगे हंसी खुशी का मंजर होगा
हर लव पर खुशियां चहकेंगी सुखी यहां का जन-जन होगा
लेकिन उल्टा दांव पड़ रहा, गली गली में हरण हो रहा
चौक और चौराहों पर गुंडागर्दी का वरण हो रहा
यूपी की तसवीर यही क्या तुमने मन में ठानी थी
तुमने घर-घर…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 4, 2013 at 10:00pm — 2 Comments
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