फागुन चला गया, अरे फागुन चला गया,
वह खुशमिजाज मौसम सगुन दे चला गया।
बागों में आम बौर बढ़े, फगुआ हवा में,
सर्दी के सितम से भी तो राहत दी पछुआ ने।
हर एक दिल को खुशनुमा करके चला गया,
फागुन चला गया, अरे फागुन ..................
सूरज की चमक को भी तो फागुन ने टटोला,
हर एक दिल को मौसमी अंदाज से तोला।
बूढ़ों को धूप, बच्चों को मुस्कान दे गया।
हर व्यक्ति को राहत भरा उनमान दे गया।
फागुन चला गया, अरे फागुन ..................
हम बात कहें, अन्नदाता के हिसाब…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 18, 2014 at 9:22pm — 2 Comments
तुम गुलगुल गद्दा पर सोवौ, हमका खटिया नसीब नाहीं।
तुम रत्नजड़ित कुर्सिप बैठौ, हमका मचिया नसीब नाहीं।
तुम भारत मैया के सपूत, हम बने रहेन अवधूत सदा।
तुमरी बातेन का करम सोंचि, हम कहेन हमें है इहै बदा।
हर बातन मां तुम्हरी हम तौ, हां मां हां सदा मिलावा है।
तुमका संसद पहुंचावैक हित, तौ मारपीट करवावा है।
तबकी चुनाव मां बूथ कैंप्चरिंग, किहा रहै तौ अब छूटेन।
तुम्हरे उई दुईसौ रुपया मां, जेलेम खालर चुनहीं ठोकेन।
तुम निकरेव…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 6, 2014 at 9:00pm — 2 Comments
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