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ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।
जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।
तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,
मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।
फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,
वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।
अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,
वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।
आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,
एक तो शै है जो…
Added by मनोज अहसास on March 25, 2023 at 7:08pm — 2 Comments
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एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगा
वफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता
किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आता
मैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था
जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आता
तुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है
सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं…
Added by मनोज अहसास on March 22, 2023 at 11:00pm — No Comments
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ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता
हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता
मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में
किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता
मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ
ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता
इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका
मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता
तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो
मुझे…
Added by मनोज अहसास on March 17, 2023 at 11:16pm — 5 Comments
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