बह्र -1212-1122-1212-22
बड़ा शह्र है ये अपना पता नहीं मिलता।।
यहाँ बजूद भी हँसता हुआ नहीं मिलता।।
दरख़्त देख के लगता तो आज भी ऐसा ।
के ईदगाह में अब भी खुदा नहीं मिलता।।
समाज ढेरों किताबी वसूल गढ़ता है।
वसूल गढ़ता ,कभी रास्ता नहीं मिलता।।
मैं पढ़ लिया हूँ कुरां,गीता बाइबिल लेकिन ।
किसी भी ग्रन्थ में , नफरत लिखा नहीं मिलता।।
मुझे भी दर्द ओ तन्हाई से गिला है पर।
करें भी क्या कोई हमपर फ़िदा नहीं…
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 30, 2018 at 11:11am — 6 Comments
बह्र ,2122-2122-2122
फिर मैं बचपन दोहराना चाहता हूँ।।
ता -उमर मैं मुस्कुराना चाहता हूँ ।।
जिसमें पाटी कलम के संग दवाइत।
मैं वो फिर लम्हा पुराना चाहता हूँ ।।
कोयलों की कूह के संग कूह कर के ।
मौसमी इक गीत गाना चाहता हूँ ।।
टाटपट्टी ,चाक डस्टर, और कब्बडी।
दाखिला कक्षा में पाना चाहता हूँ।।
ए बी सी डी, का ख् गा और वर्ण आक्षर।
खिलखिलाकर गुनगुनाना चाहता हूँ ।।
आमोद बिन्दौरी / मौलिक /अप्रकाशित
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 24, 2018 at 11:23am — 5 Comments
बह्र:-221-2121-2221-212
आधा है तेरा साथ ओर आधी जुदाई है।।
कुछ इस तरह चिरागे दिल की रौशनाई है ।।
चहरे में मुस्कुराहटें आई हैं लौट कर ।
जब जब भी मैंने याद की ओढ़ी रजाई है।।
विस्मित नहीं हुई अभी,अपनी हो आज भी।
रिश्ता जरूर बदला है अब तू पराई है।।
कितना भी पढ़ लो जिंदगी की इस किताब को ।
मासूस हो यही अभी,आधी पढाई है।।
नजरों से हूबहू अभी वो ही गुजर गया।
जिसकी है जुस्तजू मुझे, तन पे सिलाई है…
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 22, 2018 at 7:10pm — 12 Comments
बह्र 2122-2122-2122-212
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दे रहा है ज़िस्म को जो दर कदम पर इक सिला।।
इक तेरी तस्वीर और अंतिम तिरा वो फैसला।।
खंडरों की शानों शौक़त दिन ब दिन बेहतर हुई।
जैसे पतझड़ कह रहा हो लौट मुझको मय पिला।।
बढ़ रहा हूँ कुछ कदम, हूँ कुछ कदम ठहरा हुआ।
बाद तेरे टूटने जुड़ने लगा है हौसला।।
ना कभी ओझल हुआ था,ना ही ओझल हो कभी।
इसमें है अहसासे उलफत ,इश्क का जो भी मिला।।
चल चलें कुछ दूर पैदल, दो कदम मंजिल बची ।
दो कदम…
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 20, 2018 at 6:30pm — 8 Comments
बह्र:-2122-2122-2122-212
बढ़ गई जिस दौर रिश्तों की नमीं और दूरियां ।।
खुद-ब-खुद लेनी पड़ी खुद को खुद की सेल्फियां।।
जिसको समझा शान आखिर अब वो आ कर के खड़ा ।।
मुँह चिढ़ाता दौर मेरा ,खुद -जनी नाकामियां।।
नाम अब है गर्व का ,खुदग़रज ओऱ बे अदब।
झुकना अब न चाहता हैं नवजवां कोई मियां।।
देश के होने लगे जब मज़हबी हालात यूँ।।
राजनीतिक सेंकने लगते हैं अपनी रोटियां।।
रास्ता सबका अलग, अब बँट ही जाना है…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on March 16, 2018 at 11:56am — 5 Comments
बह्र:-2122-2122-2122-212
तन-बदन सब लाल पीला और काला हो गया
"ये ख़बर ज्यूँ ही मिली कि तू पराया हो गया
धुंध छा जाती न आँखें रोक पाती अश्क अब।
तेरे बिन जीवन यूँ मेरा टूटी माला हो गया।।
कैसे खुद को मैं बचाता प्यार का है रंग चटख।
प्रेम के रंग से लिपट जब ईश ग्वाला हो गया।।
कुछ बताया अश्क ने यूँ अपनी इस तक़दीर पर।
जब से प्याली में वो टपका तब से हाला हो गया।।
ठोकरें बदली…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on March 15, 2018 at 4:00pm — 11 Comments
जिन्दा इक सवाल है ।
सबका एक ख्याल है ।।
कुछ मंदिर को दो ,
कुछ मस्जिद को दो ..
सब को जरूरत है खुशियों की
ईश्वर भी निढाल है
जिन्दा एक सवाल है
रोटी , कपड़ा , मकान
जरुरत है हर इंसान
वो बंगलों में रख दो
वो झोपड़े में रख दो
कंफ्यूशन , है बवाल है
जिन्दा एक सवाल है।
कमरा बना नहीं पाते
की बच्चे सुरक्षित हों !
मंदिर बनेगा..मस्जिद बनेगी
जमीनें आरक्षित हों ???
कौंधता ,…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on March 10, 2018 at 11:05am — 1 Comment
बह्र -212-221-221
सोंच को इक तीर करती है ।।
कुछ यूँ ये तस्वीर करती है।।
कुछ भी हो की बात कर और।
मन में हलचल पीर करती है।।
दर्द उलफत है ये सायद की।
दिल को रिसता नीर करती है।।
सुन सुनाई दे रहा कुछ यूँ।
ये हवा तपशीर करती हैं।।
बा वफ़ा या बेवफा ना वो।
फैसले तक़दीर करती है।।
जिंदगी भी बाद उलफत के।
पैरों में जंजीर करती है।।
खुद को पत्थर से रगड़ने के।
बाद…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on March 10, 2018 at 10:00am — 2 Comments
2122-2122-2122-212
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खूबसूरत है चमन चश्मा हटा कर देखिए।।
जीस्त में उल्फत भरा किरदार ला कर देखिए।।
ढाकिये अपने ही तन के जख्म कोई गम नहीं।
पर ये खुशियाँ गैर के चेहरे सजा कर देखिए।।
एक सा होगा नही हर आदमी हर दौर का।
भ्रान्तियों का आँख से चश्मा हटा कर देखिए।।
इक भलाई प्यार की देती है लज्जत बे सबब।
बस जरा घी सोंच में अपनी मिला कर देखिए।।
आदमी से आदमी को बाँटिये हरगिज नही।
मजहबी होता न हर आदम वफ़ा कर…
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 4, 2018 at 4:00pm — 5 Comments
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