212 1222 212 1222
बात मुख्तसर सी थी गर कही नहीं होती
लाठी एक तनकर थी अब खड़ी नहीं होती (1)
छोटे छोटे ख़्वाबों का रोज़ क़त्ल करती है
बेटी क्यों ये आसानी से बड़ी नहीं होती (2)
आपसे मिलूँ गर मैं तो उदास होता हूँ
और जब नहीं मिलते तो ख़ुशी नहीं होती (3)
बढ़ नहीं सकी आगे कार ही उमीदों की
लाल ही रही बत्ती वो हरी नहीं होती (4)
ज़िंदगी में दोनों तो साथ साथ रहते हैं
पर गुलाब काँटों में दोस्ती नहीं होती…
Added by सालिक गणवीर on March 19, 2021 at 11:01pm — 4 Comments
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शम्स हरदम छुपा नहीं रहता
बादलों से ढका नही रहता (1)
लोग मुझको न ढूँढ पाएँगे
मैं कहाँ हूँ पता नहीं रहता (2)
इश्क़ में काम इतने होते हैं
फिर कोई काम का नहीं रहता (3)
लोग आपस में बाँट लेते हैं
मेरा हिस्सा बचा नहीं रहता (4)
हम सभी मिल के एक होते तो
मुल्क इतना बँटा नहीं रहता (5)
लौट आया है सुख मिरे घर में
देख रहता है या नहीं रहता (6)
इक न इक…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on March 5, 2021 at 4:42am — 5 Comments
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