For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामने आ तू कभी ख़्वाब में आने वाले....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1122 1122 22

सामने आ तू कभी ख़्वाब में आने वाले
क्या मिला तुझको मेरी नींद उड़ाने वाले (1)

ऐसा लगता है कि आने का इरादा ही नहीं
वर्ना महशर में भी आ जाते हैं आने वाले (2)

चंद लम्हे भी अगर बंद हुई हैं पलकें
आ ही जाते हैं नये ख़्वाब दिखाने वाले (3)

क्या ग़जब है कि नये लोग चले आए हैं
घर में पहले से ही थे आग लगाने वाले (4)

मैं इस उम्मीद में बस आज तलक ज़िंदा हूँ
लौट आएँगे कभी छोड़ के जाने वाले (5)

मैं कभी अपने ही वादे से मुकर जाता हूँ
भूल जाते हैं कभी मुझको बुलाने वाले (6)

अब तो लगता है कि सब भूल गए हैं मुझको
याद आते हैं बहुत मुझको भुलाने वाले (7)

पीछे हटता हूँ कभी उनकी मदद लेने से
खींच लेते हैं कभी हाथ बढ़ाने वाले (8)

*मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1024

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on December 15, 2020 at 10:53am

भाई  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी

आदाब

ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभारी हूँ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 14, 2020 at 10:23pm

बहुतखूब बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय...

Comment by सालिक गणवीर on December 11, 2020 at 6:23pm

उस्ताद ए मुहतरम समर कबीर साहिब
आदाब

ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभारी हूँ। सलामत रहें। 

Comment by Samar kabeer on December 11, 2020 at 3:14pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे शैर में 22 को 112 लेने की इजाज़त है इस बह्र में ।

Comment by सालिक गणवीर on December 10, 2020 at 6:49pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभार। 

Comment by सालिक गणवीर on December 10, 2020 at 6:47pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'   जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभार। 

Comment by सालिक गणवीर on December 10, 2020 at 6:46pm

आदरणीय dandpani nahak  जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभार। 

Comment by सालिक गणवीर on December 10, 2020 at 6:43pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय से आभार। दूसरे शैर के आखिरी अरकान में नहीं है लिखने से ग़ज़ल बेबह्र हो जाएगी मुहतरम ,इस बह्र में आख़िरी अरकान 22 /112 लेने की छूट है मुहतरम।

Comment by Chetan Prakash on December 9, 2020 at 9:03am

शुभ प्रभात , सलिक गणवीर भाई, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बघाई। लेकिन शेर न0. 7 भरती का प्रतीत हुआ। दूसरे शेर का ऊला मिसरे का आखिरी रुक़्न 22 फेलुन के बजाय फाइलुन 212 हो गया है, ही नहीं के स्थान पर नही है (112 ) कर लीजिए।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 8, 2020 at 4:16pm

जनाब सालिक़ गणवीर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service