मै हूँ धरती
आसमान पे चाँद
साथ साथ है
....................
शीतल तन
लहराती चांदनी
छटा बिखरी
...................
ठंडी हवाएं
जल रहा बदन
तड़पा जाती
.................
स्नेहिल साथ
अंगडाई प्यार की
बहार आई
..................
रात की रानी
दुधिया चांदनी है
महके धरा
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by Rekha Joshi on March 23, 2013 at 11:21pm — 4 Comments
मै बांसुरी बन जाऊं प्रियतम
और फिर इसे तुम अधर धरो
.............................................
.धुन मधुर बांसुरी की सुन मै
पाऊं कान्हा को राधिका बन
..........................................
रोम रोम यह कम्पित हो जाए
तन मन में कुछ ऐसा भर दो
............................................
प्रेम नीर भर आये नयनों में
शांत करे जो ज्वाला अंतर की
..........................................
फैले कण कण में…
ContinueAdded by Rekha Joshi on March 3, 2013 at 11:53am — 20 Comments
''सोनू आज तुमने फिर आने में देर कर दी ,देखो सारे बर्तन जूठे पड़ें है ,सारा घर फैला पड़ा है ,कितना काम है ।''मीना ने सोनू के घर के अंदर दाखिल होते ही बोलना शुरू कर दिया ,लेकिन सोनू चुपचाप आँखे झुकाए किचेन में जा कर बर्तन मांजने लगी ,तभी मीना ने उसके मुख की ओर ध्यान से देखा ,उसका पूरा मुहं सूज रहा था ,उसकी बाहों और गर्दन पर भी लाल नीले निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे । ''आज फिर अपने आदमी से पिट कर आई है ''?उन निशानों को देखते हुए मीना ने पूछा ,परन्तु सोनू ने कोई उत्तर नही दिया ,नजरें…
ContinueAdded by Rekha Joshi on March 1, 2013 at 3:00pm — 15 Comments
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