Added by जयनित कुमार मेहता on March 17, 2017 at 4:51pm — 5 Comments
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है हर सू फ़क़त धूप,साया कहाँ है?
ये आख़िर मुझे इश्क़ लाया कहाँ है!
अमीरी को अपनी दिखाया कहाँ है?
तुम्हें शह्र-ए-दिल ये घुमाया कहाँ है?
अभी सहरा में एक दरिया बहेगा
अभी क़ह्र अश्क़ों ने ढाया कहाँ है?
अभी देखिएगा अँधेरों की हालत
उफ़ुक़ पर अभी शम्स आया कहाँ…
ContinueAdded by जयनित कुमार मेहता on March 8, 2017 at 3:30pm — 6 Comments
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