(पति पत्नी में मंहगाई को लेकर होली पर नोकझोक)
बलम ना करो बलजोरी
अबके फागुन खेलूंगी ना
तोरे संग मैं होरी .
बलम ना करो बलजोरी .
मेरी बात माने नाहीं
मैं ना मानूंगी तोरी.
बलम ना करो बलजोरी.
बलम ना करो बलजोरी.
चांदी की पिचकारी लाओ,
लाओ रंग गुलाबी लाल,
जयपूर से लंहगा लाओ
तब जाकर छुओ गाल.
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मंहगाई की मार ने गोरी
जीना किया मुहाल.
पिचकारी मंहगी…
ContinueAdded by Neeraj Neer on March 24, 2013 at 11:44am — 8 Comments
जब तुम बुझा रहे थे अपनी आग,
मै जल रही थी.
मैं जल रही थी पेट की भूख से,
मैं जल रही थी माँ की बीमारी के भय से,
मैं जल रही थी बच्चों की स्कूल फीस की चिंता से .
जब तुम बुझा रहे थे अपनी आग,
मै जल रही थी.
*******
मैं बाहर थी
जब तुम मेरे अंदर प्रवेश कर रहे थे
मैं बाहर थी
हलवाई की दुकान पर.
पेट की जलन मिटाने के लिए
रोटियां खरीदती हुई.
मैं बाहर थी ,
दवा की दुकान पर
अपनी अम्मा के…
ContinueAdded by Neeraj Neer on March 21, 2013 at 10:31pm — 10 Comments
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