२२११ २२१२ २२१२ १२
कैसी ये मुलाकात है कोई गिला नहीं
पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं
हाँ बात वो कुछ और थी जब साथ हम भी थे
अब सिर्फ इत्तेफ़ाक है, अब सिलसिला नहीं
वो…
ContinueAdded by sanju shabdita on April 30, 2014 at 6:00pm — 17 Comments
एक पुरानी ग़ज़ल -
२१२२ १२२१ २२१२
बेकली मेरे दिल की मिटा दीजिए
ऐ मेरे चारागर कुछ दवा दीजिए
कुछ तो जज्बात मेरे समझिए जरा
कुछ तो मेरी वफ़ा का सिला दीजिए
दिल धुआं है मगर…
ContinueAdded by sanju shabdita on April 4, 2014 at 8:27pm — 26 Comments
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