121-22 121-22 121-22 121-22
ख़ुशी में तू है,है ग़म में तू ही,नज़र में तू, धड़कनों में तू है ।
मैं तेरे दामन का फूल हूँ,माँ मेरी रगों में तेरी ही बू है ।।
हरेक लम्हा सफ़र का मेरे ,भरा हुआ है उदासियों से ।
ये तेरी आँखों की रौशनी है, जो मुझमे चलने की आरज़ू है ।।
है तेरे क़दमों के नीचे जन्नत, ज़माना करता तेरी इबादत ।
तेरे ही रुतबे का देख चर्चा, माँ सारे आलम में चार सू है ।।
तमाम है रौनके जहाँ में ,जो बेकरारी नज़र में भर दें ।
मगर जो खाता है…
Added by मनोज अहसास on April 25, 2016 at 3:00pm — 9 Comments
Added by मनोज अहसास on April 5, 2016 at 11:05am — 21 Comments
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