उसकी सासें गातीं हैं सरगम
अौर रात रक़्स करती है/
मैं चाँद की डफली बजाता हूँ,
मगर ये गीत जाने कौन गाता है!
हमने चाँद को चिकुटी काटी /
शरारत सूझी/
उसे प्यार आया, फिर सहलाया /
और,
दे गया चाँदनी रात भर के लिये.
उसे चाँद दे दिया
और ख़ुद चाँदनी ले ली.
ठग लिया यूँ आसमाँ को आज हमने.
सुना है,
आसमां सितारों से शिकायत करता है.
रात की मिट्टी में,
तेरी यादों की एक डाली रोपी
जज्बात से सींचा उसे,
फिर,…
Added by shree suneel on April 29, 2015 at 4:00pm — 16 Comments
2212 2212 2212
आसान राहों पे ले आती है मुझे
उसकी दुआ है, लग हीं जाती है मुझे.
ये शोर दिन का चैन लूटे है मेरा
औ' रात की चुप्पी जगाती है मुझे.
किस किस को रोकूं कौन सुनता है मेरी
ये भीङ पागल जो बताती है मुझे.
कूचे में जो मज्कूर है उस्से अलग
दहलीज़ तो कुछ औ' सुनाती है मुझे.
पहलू में मेरे बैठी है मुँह मोङ कर
ये ज़िन्दगी यूँ आजमाती है मुझे.
मौलिक व अप्रकाशित
Added by shree suneel on April 28, 2015 at 3:36pm — 24 Comments
Added by shree suneel on April 12, 2015 at 11:27am — 18 Comments
Added by shree suneel on April 9, 2015 at 2:46pm — No Comments
रात के कुएं में
क्या मैं हूँ कूपमंडूक की भांति
और मुझे भान नहीं
उजालों के अस्तित्व का.
या कि हूँ एक भागा हुआ आदमी -
उजालों के भय से.
कुछ भी सोचो, तय यही है,
मुझसे गप्पें मारतीं रातें
पूछतीं नहीं- 'तुम क्यों हो नंगे' .
दिखातीं नहीं मेरी दुरवस्था औरों को,
घर की बात समझतीं हैं.
कह रही थी वह-
एक भाई है मेरा,
मेरी प्रकृति के विपरीत,
सवाल करता है बहुत,
पटरी बैठती नहीं मेरी-उसकी.
मौलिक व…
Added by shree suneel on April 5, 2015 at 1:30am — 6 Comments
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