दीवार
आसमां में कोई सरहद नहीं
फिर धरती को क्यों बाँटा है
ये तो हम और तुम हैं ,जिन्होंने
दिलों को भी दीवार से पाटा है
कहीं नफ़्रत की तो कहीं अहं की
आओ इस दीवार को गिरा कर देखें
कि दिल कितना बड़ा होता है..
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महेश्वरी कनेरी
मौलिक /अप्रकाशित
Added by Maheshwari Kaneri on April 26, 2014 at 4:45pm — 8 Comments
चुनाव
भरे नहीं थे पिछले घाव
लो फिर आगया चुनाव
मुद्दों की मलहम लेकर
घर-घर बाँट रहे हैं
फिर नए साजिश की
क्या ये सोच रहे हैं ?
धर्म मज़हब की लेकर आड़
करते नित नए खिलवाड़
फिर शह-मात की बारी है
सियासी जंग की तैयारी है
आरोप प्रत्यारोप का
भयंकर गोला बारी है
विकास की उम्मीद लिए
परिवर्तन पर परिवर्तन
लेकिन थमता नहीं यहाँ
कुशासन का ये नर्तन
कहीं मुँह बड़ा हुआ…
ContinueAdded by Maheshwari Kaneri on April 17, 2014 at 6:30pm — 8 Comments
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