न बैठो इतने करीब मेरे कहीं मेरा दिल मचल न जाए
अब इतनी भी दूर तो न जाओ ये जान मेरी निकल न जाए ।।
जो बर्फ़ अरमानों पर जमी है तेरी तपिश से पिघल न जाए
पिघल गई गर तो मेरी आँखों की झील भर के उछल न जाए ।।
बड़ा ही शातिर ये वक़्त है फिर नई कोई चाल चल न जाए
मिलन से पहले घड़ी विरह की मिलन का लम्हा निगल न जाए ।।
तेरी छुअन से हुई वो जुम्बिश की दिल की धड़कन बिखर गई है
न छूना मुझ को सनम दुबारा ये साँस जब तक सँभल न जाए…
ContinueAdded by Gurpreet Singh jammu on April 18, 2017 at 10:50am — 14 Comments
मेरी आँखों में नज़र ये ढूँढती क्या चीज़ है
कुछ तो बतला दे कि तेरी खो गई क्या चीज़ है ॥
रात दिन सीने की दीवारों पे ये पटके है सर
ऐ खुदा इस बुत में तूने डाल दी क्या चीज़ है ॥
हिज्र में जिस ने सुनी हों ग़ज़लें तन्हा बैठ कर
उससे जाकर पूछिए ये शायरी क्या चीज़ है ॥
तेरे ख्वाबों से उठा तुझ को न पाया सामने
अब समझ में आ रहा है तिश्नगी क्या चीज़ है ॥
यूँ तो जीने का तजुर्बाहै बहुत हम को मगर
अब तलक समझे नहीं हैं ज़िंदगी क्या चीज़ है…
Added by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 10:00am — 13 Comments
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