अदभुत अकथनीय वातावरण
आज भगवान स्वयं घर पधारे हैं ,
चारों –ओर खुशियाँ ही खुशियाँ लाये है
भगवान् या देवी जो भी हों
घर को खुशियों से भर दिया है
आज अम्बर भी ,देव वियोग में आसूं बहा रहा है
हवायें भी व्याकुल हो
प्रभु को ढूढने चली आ रही हैं
इससे अनभिज्ञ ,अंजान हैं
हमारे छोटे भगवान् जी
घरवालों के प्रान जी
पर क्या इनकी पूजा होगी ?
क्या इनकी किलकारियां ,नटखट अदाएं यूँ ही रहेंगी ?
ऐसा प्रश्न क्यूँ आया
आना…
ContinueAdded by maharshi tripathi on April 12, 2016 at 10:39am — 2 Comments
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