याद कर इतना न दिल कमजोर करना
आऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।
मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरी
कह दूं मैं, बस रोक दे वो शोर करना।
पंक्तियों के बीच पढ़ना आ गया है
भूल बैठा हूं मैं अब इग्नोर करना।
ये नजर अब आपसे हटती नहीं है
बंद करिए तो नयन चितचोर करना।
याद बचपन की न जाती है जेहन से
अब अखरता खुद को ही मेच्योर करना।
आज को जैसे वो जीना भूल बैठे
बस उन्हें धुन अपना कल सेक्योर…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on April 13, 2024 at 10:33pm — 7 Comments
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