221—2121—1221—212
कविता में सम्प्रदाय लिखा-सा मिला जहाँ
शब्दों के साथ जल गई सम्पूर्ण बस्तियाँ
धीरे से छंट रहा था कुहासा अनिष्ट का
कुछ शिष्टजन ही लेके चले आये बदलियाँ
शासक, प्रशासकों से ये संचार-तंत्र तक
घूमे असत्य भी अ-पराजित कहाँ कहाँ
ये फलविहीन वृक्ष लगाने से क्या मिला ?
दशकों से गिड़गिड़ाती, ये कहती हैं नीतियाँ
अँकुए में सिर उठाने का दृढ़ प्रण है बीज का
आती हैं तीव्र वेग से, तो आये आंधियाँ
मैं फैलता रहा हूँ निरर्थक चतुर्दिशा
षड्यंत्र तम का देखिए सबसे प्रबल यहाँ
उर्वर धरा से छीन के पोषण के तत्व वो
क्यों देखते हैं स्वप्न में गेंहूँ की बालियाँ
अब पल्लवन की राह से परिचित कहाँ रही
ये पत्रहीन हो चुकी बेडौल टहनियाँ
इस दृश्य के भी पाश्व कई दृश्य है छुपे
मष्तिष्क है तो खोल तनिक सच की रश्मियाँ
घटना पढ़ी अवश्य समाचार-पत्र में
‘मिथिलेश’ कह सके न कभी, क्या हुआ वहाँ
----------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) © मिथिलेश वामनकर
----------------------------------------------------------
Comment
वाह्ह्ह वाह्ह्ह्हह मिथिलेश भैया हिंदी शब्द की बाहुल्यता किये गैर मुरद्दफ़ ये ग़ज़ल/गीतिका भी बहुत खूब रही हर शेर पर दाद प्रेषित है बहुत बहुत बधाई
आ० मिथिलेश जी , वाह क्या मुरस्सा गजल कही आपने
घटना पढ़ी अवश्य समाचार-पत्र में
‘मिथिलेश’ कह सके न कभी, क्या हुआ वहाँ / (एक कोशिश मेरी भी ) पर कह न पाया मैं कभी था क्या छपा वहां
आदरणीय मिथिलेश जी ..जीवन में आजकल जो हो रहा है हर पहलू को शानदार तरीके से शेरो के माध्यम से ग़ज़ल में पिरोया है आपने ..हिंदी की इस शानदार ग़ज़ल पर आपको ढेर सारी बधाई सादर
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,बहुत ही उम्दा और मुरस्सा ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को ,इस पर आपकी मिहनत साफ़ दिखाई दे रही है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
सातवे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये :- 'तत्व वो' ।
कुछ मिसरों में टंकण त्रुटियों को दुरुस्त कर लीजिये,शैर का मज़ा ख़राब हो रहा है ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online