छिड़ी हुई शब्दों की जंग | दिखा रहे नेता जी रंग ||
वैचारिकता नंगधडंग | सुनकर हैरत जन-जन दंग ||
जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||
बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||
पांच वर्ष में एक चुनाव | छोड़े मन पर कई प्रभाव ||
महँगाई भी देती घाव | डुबो रही है सबकी नाव ||
नारी दोहन अत्याचार | मिला नहीं अबतक उपचार ||
सरकारें करती उपकार | निर्धन फिरभी हैं बीमार ||
तीर तराजू औ तलवार | किसे कहें अब जिम्मेदार…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2014 at 2:00pm — 27 Comments
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