2122 2122 212
ओस की बूंदें भी' प्यासी हैं अभी
परकटी चाहें अधूरी हैं अभी।1
नश्तरों का हाल अब मत पूछना
बुत बनी रातें यूँ तारी हैं अभी।2
क्या करोगे जानकर सब सिलसिला?
सच मरा है, बातें' टेढ़ी हैं अभी।3
औरतों के नाम लेके आजकल
नख चले,घातें यूँ' माती हैं अभी।4
लाइलाजों का करो कुछ तो जतन
इल्म वाली बाँहें' बाकी हैं अभी।5
नर्म बिस्तर के सिवा झपकी नहीं?
नाखुदाओ! लपटें' खासी हैं अभी।6
"मौलिक व अप्र का शि त"
Added by Manan Kumar singh on April 22, 2018 at 8:49am — 9 Comments
22 22 22 22
अपना घाव छुपा के रखना
मन को भी समझा के रखना।1
ऊपर ऊपर जैसा भी हो
अंदर आग जला के रखना।2
और उजाला करना होगा
थोड़ा तेल बचा के रखना।3
तीर चलेंगे जाने कितने
देखो ढ़ाल बढ़ा के रखना।4
कौन सुनेगा बातें ढ़ब की
बाण-धनुष चमका के रखना।5
मंजिल कोई दूर नहीं है
ख्वाहिश को उमगा के रखना।6
रात अँधेरी,चंदा संगी,
रुनझुन बीन बजा के…
Added by Manan Kumar singh on April 21, 2018 at 7:30pm — 10 Comments
2122 2122 2122 2
हारकर बैठे जुआरी,हो नहीं सकता
बंदरों के सर हो टोपी,हो नहीं सकता।1
आसरों का सिलसिला चलता रहा कब से
जो सियासत में,करीबी?हो नहीं सकता।2
रास्ते जितना चले शायद मुनासिब हो
रुक गये तो तय हो बाकी,हो नहीं सकता।3
झूठ पर कुरबान सब हैं किस कदर देखो
सच कहो, हो वाहवाही,हो नहीं सकता।4…
Added by Manan Kumar singh on April 17, 2018 at 7:26am — 9 Comments
22 22 22 22
मूर्खों का सम्मेलन हो फिर,
बीतीं बातें,चिंतन हो फिर।1
उम्र हुई तो क्या होता है
सुन्नत,चाहे मुंडन हो फिर।2
अपने तर्क उठाते रहिये
औरों का बस खंडन हो फिर।3
जात-धरम अवसाद हुए कब?
मुँहदेखी हो,मंडन हो फिर।4
भाषा,भनिति अबला जैसी
नाच नचा लें,ठन-ठन हो फिर।5
पीठ नहीं पूजी जाये तो
चलते-फिरते अनबन हो फिर।6
पढ़ने से परहेज भला है
मतलब कुछ हो, लेखन हो…
Added by Manan Kumar singh on April 1, 2018 at 9:08pm — 14 Comments
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