मैं सबसे प्रेम करता था|
मेरे प्रेम को
एक मोबाइल कॉल की तरह अग्रेषित किया
मेरे अपनों ने ही
चमकते सिक्कों की ओर|
मेरे परिवार में मैं मूर्ख कहलाया |
मेरा लक्ष्य प्रेम था,
इसलिए…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 17, 2014 at 12:44pm — 9 Comments
मेरी मृत्यु नहीं हुई थी,
इसलिए बिछड़ी नहीं
हमेशा के लिए |
उसने मुझे रहने को
दे दिया बड़ा सा वृद्धाश्रम
कई लोगों के साथ में
कई सालों के लिए
घर से बस थोड़ी सी दूर|
जो रहा था
बस नौ महीने
अकेला
मेरी छोटी सी कोख में |
** मौलिक और अप्रकाशित
Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 10, 2014 at 7:00pm — 16 Comments
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