“मालिक..! मुझे एक माह की छुट्टी चाहिए थी, बहुत जरुरी काम आन पड़ा है.. या हो सके तो एक नये नौकर की जुगाड़ भी कर के रखना.हुआ तो लौटकर काम पर नहीं भी आऊँ ” रोज अपने कान के ऊपर से बीड़ी निकाल के पीने वाले रामू ने, आज सिगरेट का कस खींचते हुए कहा
“अरे भाई..यहाँ पूरा काम फैला पड़ा है और तू है कि एक माह की छुट्टी की बात कर रहा है, ऐसा क्या काम आ गया ..? कि तू काम भी छोड़ सकता है “ गजाधर ने बड़े परेशान होकर पूछा
“ वो काम यह है कि मेरी ससुराल वाला गाँव, बाँध की डूब में…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on April 28, 2014 at 12:00pm — 26 Comments
कैसी शुष्कता है?
जो धूप में
बदन झुलसा रही..
भीतर इतनी आग
विरह की जो
केवल धुआँ
और धुआँ देती है
राख तक नसीब नहीं
जिसे रख दूँ संजो कर
तेरी हथेली पर
जब मिलन की बेला हो
और कहूँ कि....
यह पाया मैंने
तुझ बिन...!
जितेन्द्र ' गीत '
( मौलिक व् अप्रकाशित )
Added by जितेन्द्र पस्टारिया on April 21, 2014 at 11:00am — 58 Comments
“अरे! रामेश्वर भाई..समझ नही आता क्या करें ? किस को क्या समझाएं ? किस दुःख में शामिल होने चलें?”
“सही कह रहे हो..तुम किशन भाई, वहां बेचारे दीनानाथ जी का शव अंतिम संस्कार की राह देख रहा है और उनके चारों बेटे आपस में बटवारे को लेकर झगड़ रहे है..”
" हाँ भाई..! रामेश्वर , दीनानाथ जी ने अपनी अर्थी के लिए चार काँधे तैयार किये थे, न जाने क्या कमी रह गई "
जितेन्द्र 'गीत'
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by जितेन्द्र पस्टारिया on April 7, 2014 at 11:09am — 30 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |