2122 2122 2122 212
जाग गहरी नींद से औ देख अपना ये चमन
ये हमारी शान है औ ये हमारा है वतन|
भोली सूरत देखकर या फिर किसी भी लोभ में
जो जलाते घर हमारे दो न तुम उनको शरण |
धर्म के जो नाम पर हमको लड़ाते आ रहे
आ गए फिर वोट लेने सोच कर करना चयन|
आदमी की शक्ल में जो हैं सरापा भेड़िये
कब तलक जुल्मों सितम उनके करेंगे हम सहन|
गर बचाना देश है तो मार दो गद्दार को
झट मिटा दो नाम अब तो मत करो…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on April 11, 2017 at 8:30pm — 6 Comments
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सच यहाँ पर कुछ नहीं जब खुद है झूठा आदमी|
जानकर भी आज सब अनजान देखा आदमी|
जग पराया देश है अपना यहाँ कुछ भी नहीं
कुछ दिनों के वास्ते इस जग में आया आदमी|
लोग अपने वास्ते जीते हैं दुनिया में मगर
जो पराया दर्द समझे है वो आला आदमी
ये ख़जाना और दौलत सब यही रह जाएगा
सिर्फ तेरा कर्म ही बस साथ देगा आदमी|
बेवफ़ा सी ज़िन्दगी जिस दिन तुझे ठुकराएगी
आदमी को लाश कहकर…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on April 8, 2017 at 12:00am — 7 Comments
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