1222 122 1222 122
वो बरगद आरियों का निशाना हो गया है
परिन्दा दर ब दर बेसहारा हो गया है
हवस दुनिया की बरबाद कर देती उसे भी
चलो मुफ़लिस की बेटी का रिश्ता हो गया है
गरीबी थी कि मजबूरी थी बच्चे की कोई…
ContinueAdded by gumnaam pithoragarhi on May 29, 2014 at 8:30pm — 15 Comments
उन फाका मस्त फकीरों की हस्ती ऐसी थी
माल पुवे फीके थे उनकी मस्ती ऐसी थी
राग द्वेष नफ़रत के शहरों में जले फैले
प्यार बढ़ाती थी नानक की बस्ती ऐसी थी
जीवन की सोन चिरैया है हवस में अब
ढाई आखर सीखे ना ख़ुदपरस्ती ऐसी…
ContinueAdded by gumnaam pithoragarhi on May 27, 2014 at 8:30am — 4 Comments
२२ २२ २२ २२
क्या तुमने ये सोचा पगली
गर मैं तेरा होता पगली
तेरी यादें फूलों जैसी
कांटे होते रोता पगली
इन आँखों के वादे पढ़कर
बन बैठा मैं झूठा पगली
मैं तो तेरा साया हूँ ,अब
तू है मेरी काया पगली
तेरी बातें तू ही जाने
मैं तो हूँ बस तेरा पगली
राहों पर यूँ नज़र बिछाना
गुमनाम करे दीवाना पगली
मौलिक व अप्रकाशित
Added by gumnaam pithoragarhi on May 15, 2014 at 4:00pm — 13 Comments
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