तुम्हारा मेरा होना
जैसे न होना एक सदी का
वक्त के परतों के भीतर
एक इतिहास दबा सा |
जैसे पाषाण के बर्तनों मे
अधपका हुआ सा खाना
और गुफा मे एक चूल्हा
और चूल्हे में आग का होना |
तुम्हारा मेरा होना
जैसे खंडहर की सिलाब में
बीती बारिश का रिमझिम होना
और दीवारों की नक्काशियों में
मुस्कुराते हुए चेहरों का होना.............
तुम्हारा होना
जैसे कोयले की अंगार के पीछे
हरियाले बरगद की छाँव का होना
जहाँ सकुन की…
Added by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on May 29, 2013 at 12:21am — 10 Comments
हम अपने अपने हिस्से का पानी लिए जिए जा रहें है...
देह में मचलता हुआ, लहू में बहता हुआ
और लोग जो अपनों के साथ हर सुख दुःख मे ढल जाते हैं
हर उस आकार में जिसमें
उस घडी उनका अपना उन्हें होना देखना चाहता है
वह उनके लिए पानी सा हो जातें है .......
तो है न यह अपनों का संसार|
फिर तुम मैं
कहाँ .... दो किनारों से
अपने अपने हिस्से के पानी के साथ बढते हुए, उन्हें थामे हुए|
कभी न मिलने के लिए|
और मैं हर…
ContinueAdded by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on May 21, 2013 at 12:30pm — 15 Comments
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