गज़ल(ईद मनाएं)
(मफाईलुन - मफाईलुन - फ ऊलन)
न घर आएं न वो हम को बुलाएं
अकेले ईद हम कैसे मनाएं
यही है ईद का पैग़ाम लोगों
दिलों को आज हम दिल से मिलाएँ
मुबारक बाद मैं दूँ उनको कैसे
कभी वो सामने मेरे न आएं
मनाई साथ ही थी हम ने होली
सिवइयां साथ ही हम आज खाएँ
गिले शिकवे भुला दें आज के दिन
गले मिल कर मुहब्बत को बढ़ाएं
वतन से ख़त्म हो फिरका परस्ती
ख़ुदा से आज ये…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on June 5, 2019 at 9:00pm — 3 Comments
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