2×15
वक़्त गुज़र जाएगा ये भी पल पल का घबराना क्या?
जो आँखों में ठहर न पाये उन सपनों से रिश्ता क्या?
अपनी मर्ज़ी का जीवन हो ज्यादा हो या थोड़ा हो,
मरना तो सबको है इक दिन घुट घुट कर फिर जीना क्या?
सोच समझ कर कदम बढ़ाना हर रस्ते पर धोखा है,
घर के किस्से,देश की बातें ,दीन धर्म का झगड़ा क्या?
पहली दफा जब मिले थे तुमसे वो दिन तो अब याद नहीं,
लेकिन अब तक सोच रहे हैं टूट गया वो रिश्ता क्या?
सबका भला करने की कोशिश कभी नहीं…
ContinueAdded by मनोज अहसास on June 29, 2021 at 12:40am — No Comments
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