वह वृद्ध !!
कड़कती चिलचिलाती धूप मे
पानी की बूंद को तरसता
प्यास से विकल होंठो पर
बार बार जीभ फेरता
कदम दर कदम
बोझ सा जीवन, घसीटता
सर पर बंधे गमछे से
शरीर के स्वेद को
सुखाने की कोशिश भर करता
अड़ियल स्वेद
बार बार मुंह चिढ़ाता
थक कर चूर हुआ
वह वृद्ध !!
कुछ छांव ढूँढता
आ बैठा किसी घर के दरवाजे पर
गृह स्वामी का कर्कश स्वर –
हट ! ए बुड्ढे !!
दरवाजे पर क्यों…
ContinueAdded by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:22pm — 18 Comments
[1]
पूजनीय हैं माँ-पिता, सदा करो सम्मान ।
जीवन दाता है यही, खुदा यही भगवान ॥
खुदा यही भगवान, धर्म निज खूब निभाते ।
संतानों को पाल - पोस कर नेह लुटाते ॥
मन से दो तुम मान सदा ये बंदनीय है ।
करें अहेतुक प्यार हमारे पूजनीय हैं ॥
[2]
माया छलना मोहती , धारे रूप अनेक ।
केवल माला फेरता, कैसे हो तू नेक ॥
कैसे हो तू नेक, फंसाए तुझको माया ।
जाल बिछा हर ओर उलझती जाती काया ॥
मानो …
ContinueAdded by annapurna bajpai on June 2, 2014 at 11:30pm — 14 Comments
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