गजल- चल रही है आँंधियॉं...
बह्र-- 2122 2122 2122 212
जिन्दगी है आस्मां हर ओर खालीपन चुभे।
आजकल की दास्तां हर ओर खालीपन चुभे।।
चॉंद, अपनी चॉंदनी रखता नहीं जब पास में,
मेघ-मावस से जहां हर ओर खालीपन चुभे।1
भोर की लाली चहक कर मॉंगती वर खास है,
सॉंझ को लुटती यहां हर ओर खालीपन चुभे।2
प्यार आँंखों में दिलों में दर्द का दरिया बहे,
डूबती कश्ती शमां हर ओर खालीपन चुभे।3
झॉंकते हैं अब झरोखों से…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 19, 2014 at 1:30pm — 19 Comments
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