Added by सालिक गणवीर on June 20, 2021 at 10:54pm — 6 Comments
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थी अस्ल में सियाह वो रंगीन हम ने की
कुछ इस तरह से रात की तज़ईन हम ने की (1)
उनकी नज़र के सामने गिरने से बच गए
कल आइने में अपनी ही तौहीन हम ने की (2)
अपने गिरोह में हमें शामिल तो कीजिए
लोगों ने दी हैं गालियाँ तहसीन हम ने की (3)
उस ने तो चीर फाड़ के क्या कर दिया इसे
पहलू में दिल नहीं था ये तस्कीन हम ने की (4)
सौ काम ठीक ठाक कीये आज तक मगर
ग़लती भी एक बारहा संगीन हम ने की…
Added by सालिक गणवीर on June 5, 2021 at 9:00am — 10 Comments
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