बन कान्हा की बाँसुरी, अधरों को लूँ चूम
रस पी कान्हा प्यार का ,नशे संग लूँ झूम ।।
ऐसा तेरी प्रीत का ,नशा चढ़ा चितचोर
अधर चूम के बाँसुरी ,करे ख़ुशी से शोर ।।
बन कान्हा की बाँसुरी, खुद पर कर लूँ नाज
जन्म सफल होगा तभी ,छू लूँ उसकोआज ।।…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on June 26, 2015 at 10:36pm — 1 Comment
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