ये मेरी लिखी पहली ग़ज़ल है जो मैंने पूरे प्रयास से बह्र में लिखने की कोशिश की है.
आप सभी जानकार लोगों से गुज़ारिश है कि तब्सिरा करके खामियां बताएं. आप सब का आभार. :)
इसका वज़न कुछ ऐसा गिना है मैंने.
1222/2122/1222/122
Added by Raj Tomar on June 30, 2012 at 11:00pm — 3 Comments
सानिध्य में सुदूर हर बात से मजबूर
सजग चिंतित, विराग अनुराग !
प्रतिकूल मंचन, मुलाक़ात सज्जन
फिर वहीँ आचार विचार संचन !
दिशाहीन नाव, अथाह सागर
मस्ती तूफ़ान ज्यों यादगार मगर !
अद्वैत, असहाय , निरुपाय
कुमकुम की कली तेज धुप अलसाय !
मधुर मिलन फिर वही चिंतन
अनुराग अपार तेजधार बहाव !
धूमिल क्षितिज , कलरव
अभिनव राग हज़ार बार !
हरित निष्प्राण मंद वायु यार
…
Added by Raj Tomar on June 20, 2012 at 10:58pm — 12 Comments
हँसता हुआ गुलाब बोला
देखो मैं कितना सुन्दर हूँ !
कितना गोरा रंग मेरा ,
खुशबू का मैं घर हूँ !
कितना कोमल अंग मेरा ,
सहलाना तो छोडो !
पंखुडियाँ झड जाएँगी
मुझको कभी न तोडो !
शाहों अमीरों का शान बना, पुष्पों का सरताज हूँ
यूँ बहुत पुराना राजा हूँ मैं फिर भी नया नया हूँ !
खाद रसों को चूस चूस कर इतना बड़ा हुआ हूँ
ओढ़ भेड़ की खाल को मैं भेडिया बना खड़ा हूँ !
राधा के होंठों से मैं लाली चुरा लाया हूँ
राम के सिलीमुख को शूल बना बैठा…
Added by Raj Tomar on June 17, 2012 at 7:47pm — 7 Comments
तेरे संग के वो पल ..
सारे बीते हुए कल ..
सब याद आते हैं !! ..सब ..
वो चाँदी से पल ..
सोने में संग
सोने से पल ....
तेरे बालों की लट..
तेरा कहना वो चल हट .
सब याद आते हैं ..!!
तेरे होठों का रस ..
तेरा मिलना सरस ..
तेरा वो लड़ना
मुझसे झूठा झगड़ना ..
सब याद आते हैं ..सब .!!
वो आँखे मिलाना
वो प्यार से बुलाना ..
पुरानी सभी बातें बताना ..
याद आते हैं ..सब ..
तेरे आंसू के धारे
गिरते गालों सहारे ..…
Added by Raj Tomar on June 14, 2012 at 1:56pm — 6 Comments
अरुण करुण रतनार गगन में
कुछ चंचल कुछ शांत भाव में लीन
अद्वैत रागिनी अलापती ...
धुल धूसित आभा से कुछ थकी मंशा से
मधुर-मधुर करुण ध्वनि की रागिनी !
यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी
उथल पुथल कर गिरती चलती
असफल पथिक की करुण कथा
शांत-शांत शून्य में झाँकती
रोती मुस्कराती रूपसी
हरित धरा के अधर…
Added by Raj Tomar on June 10, 2012 at 8:16pm — 5 Comments
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