वो अगर मुझसे खफा है
हक है उसको क्या बुरा है
घोंसले के साथ जुडकर
एक तिनका जी रहा है
जो अपरिचित है नदी से
बाढ़ पर वो बोलता है
है यकीं चारागरी पर
हो जहर तो भी दवा है
देख कर मुँह फेर लेना
कुछ पुराना आशना है
टूट ही जाना है उसको
सच दिखाता आइना है
जी रहा तुकबंदियों को
आदमी जो बेतुका …
ContinueAdded by Arun Sri on July 19, 2012 at 11:55am — 29 Comments
देखो !
उस चिड़िया के पंख निकाल आए
अब वो अपने पंख फैलाएगी
आसमानों के गीत गाएगी
बातें करेगी-
-गगनचुम्बी उड़ानों की !
तोड़ डालेगी-
-तुम्हारी निर्धारित ऊंचाईयां !
और उसकी अंगडाईयां
कंपा देंगी तुम्हारे अंतरिक्ष को !
वो देख आएगी
तुम्हारे सूरज में घुटता अँधेरा !
प्रश्न उठाएगी
तुम्हारे सूर्योदय पर भी !
फिर कौन पूजेगा -
-तम्हारे अस्तित्व को ?
कौन मानेगा -
-तुम्हारी…
ContinueAdded by Arun Sri on July 12, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
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