2122 2122 2122 212
लड़खड़ाती साँस डगमग आस व्याकुल मन सदा
हर नफ़र इस शह्र का कुछ इस तरह बस जी रहा
अनगिनत सपने सजा कर, चाहते निंदिया नयन
रात भर बेचैनियों की, है ग़ज़ब देखो प्रथा
पत्थर-ओ-फ़ौलाद की दीवारें मुझ को चुभ रहीं
आप यदि अपने महल में खुश हैं फिर तो वाह वा
सृष्टि की हर एक रचना का अलग इक सत्य है
कैसे लिख दूँ एक है व्यवहार जल औ आग का
फूल की डाली कली से फुसफुसा कर कह गई
ओढ़ ले काँटे सुरक्षा का यही है…
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 25, 2019 at 4:00pm — 4 Comments
122 122 122 12
मुसीबत जुटातीं ग़लत फहमियाँ
सुकूँ यूँ चुरातीं ग़लत फहमियाँ
किसी रिश्ते के दरमियाँ आएँ तो
महब्बत जलातीं ग़लत फहमियाँ
जहाँ तक भी हो इससे बच के रहो
तबाही मचातीं ग़लत फहमियाँ
अगर गर्व हावी हुआ शक्ति पे
ग़लत पथ धरातीं ग़लत फहमियाँ
उन्हें सच से जिसने न पोषित किया
उन्हीं को चबातीं ग़लत फहमियाँ
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 10, 2019 at 10:11pm — 4 Comments
12112 12112
ये भँव तिरी तो, कमान लगे
तिरे ये नयन, दो बान लगे
कहीं न रुके, रमे न कहीं
इसे तू ही तो, जहान लगे
मैं जब से मिला हूँ तुम से, मिरी
हरेक अदा जवान लगे
अमिय है तिरी अवाज़ सखी
तू गीत लगे है गान लगे
है खोजती महज़ तुझे ही निगा'ह
न और कहीं मिरा धियान लगे
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 8, 2019 at 10:55pm — 5 Comments
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