२२/२२/२२/२
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रावण को तू राम बता,
और सहाफ़त काम बता. ...सहाफ़त-पत्रकारिता
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बिकने को तैयार हैं सब,
तू भी अपने दाम बता.
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सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता.
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झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.
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चाहे काट हमारा सर,
पर पहले इल्ज़ाम बता.
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क़ातिल ख़ुद मर जाएगा,
बस मक़्तूल का नाम बता.
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निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 28, 2014 at 9:00am — 11 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
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न कोई कशिश है न कोई ख़ला है,
ये दिल बावला था ये दिल बावला है.
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गुनहगार ग़ैरों को क्यूँ कर कहें हम,
वो थे लोग अपने जिन्होंने छला है.
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टटोला कई बार ख़ुद को तो पाया,
जहाँ धडकने थीं वहाँ आबला है..... आबला- छाला
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चढ़ा था नज़र में, जिगर तक न पहुँचा,
नज़र से जिगर तक बड़ा फ़ासला है.
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उठाऊंगा मुद्दा क़यामत के दिन ये,
मेरे हक़ का हर फ़ैसला क्यूँ टला है.
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समझना है मुश्किल…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on July 11, 2014 at 2:30pm — 20 Comments
२१२२/१२१२/२२
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लोग कहते हैं मोजज़ा होगा,
देखना कोई हादसा होगा.
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ख़ूब ईमानदार बनता है,
नौकरी पर नया नया होगा.
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जब कहा, सिर्फ़ सच कहा उसने,
वो कभी आईना रहा होगा.
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जिसकी सुहबत सुकून देती थी,
कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा.
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,
ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा.
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टूटता दिल भी एक नेमत है,
शायरी का चलो भला होगा.
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शक्ल पर कुछ नहीं लिखा उसने,
कौन कैसा है, कौन…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 8:00pm — 16 Comments
२१२२, ११ २२, ११२२, २२/ ११२
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आप का, ग़म में हमारे कभी शामिल होना,
अपनी क़िस्मत में नहीं था ये भी हासिल होना.
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ये सफ़र ज़ीस्त का था, साथ चली रुसवाई,
देखना बाक़ी रहा...राह का मंज़िल होना.
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इक सफ़र चलता रहा उसके फ़ना होने तक,
एक हसरत थी लहर की, कभी साहिल होना.
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जश्न में डूबे हुए दिल में ख़लिश थी हरदम,
रोज़ महसूस किया, याद का...महफ़िल होना.
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बोझ नाक़ाम सी हसरत का उठाकर देखो,
कितना आसान है आसान का मुश्किल…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 7, 2014 at 2:00pm — 21 Comments
आ. तिलक राज कपूर सर के मार्गदर्शन से एक ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है .. उम्मीद है आप का स्नेह प्राप्त होगा
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12122/ 12122/ 12122/ 12122
हया के मारे वो वस्ल के पल, नज़र का पर्दा गिरा रही है,
मगर ये गालों की सुर्ख़ रंगत, हर एक ख्वाहिश बता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2014 at 5:00pm — 19 Comments
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