221 2121 1221 212
वो सिलसिला मिला ही नहीं जो जुड़ा रहे।
हम सबके होके दोस्तो सबसे जुदा रहे।
दीवारें आंधियों का असर सह रही है पर,
ये देखना है घर मेरा कब तक खड़ा रहे।
टुकड़े तुम्हारी याद के दिल में समेटकर,
सारे जहां के रिश्तों से हम बावफ़ा रहे।
बचपन से ही उदास रही है मेरी नज़र,
दो चार रोज साथ तेरे खुशनुमा रहे।
तेरे क़रीब कौन है इसका मलाल क्या,
मेरे लबों पर बस तेरे हक़ में दुआ…
Added by मनोज अहसास on July 25, 2021 at 11:35pm — 2 Comments
1222 1222 122
खबर झूठी उड़ाना चाहता हूँ,
तेरी यादें छुपाना चाहता हूँ।
तुम्हारे पास थोड़ा वक्त हो तो,
मैं हाले दिल सुनाना चाहता हूँ।
रकीबों की गली में आ गया हूँ,
तेरे घर में ठिकाना चाहता हूँ।
जो मेरी जान के दुश्मन बने हैं,
उन्हीं के हाथ आना चाहता हूँ।
बवंडर क्यों उठा है सरहदों पर,
मैं सबको सच बताना चाहता हूँ।
सियासत ,घर के झगड़े, दिल की बातें
मैं सब से दूर जाना…
Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 8:39pm — 2 Comments
ग़ज़ल-221 1222 22 221 1222 22
इस बहर में मेरी ये पहली ग़ज़ल है यह मतला लगभग 2 वर्ष पहले हुआ था लेकिन यह ग़ज़ल पूरी नहीं हो रही थी इसका कारण यह है कि मैं इस बहर में सहज महसूस नहीं कर रहा था यह बहर मेरी समझ में ही नहीं आ रही आज किसी तरह यह पूरी हुई है जानकार लोग बताएं कि क्या यह बहर ठीक से निभाई गई है या नहीं....
मरने का बहाना मिल जाता, जीने की सज़ा से बच जाते,
इक बार कभी वो आ जाते जो आ न सके आते आते ।
महसूस कभी होता कैसे वो दर्द का रिश्ता टूट गया…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 12:06am — 7 Comments
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