Added by atul kushwah on July 16, 2014 at 10:34pm — 8 Comments
उदास मां को एक बेटा हंसा के निकला है
अंधेरे घर में वो दीपक जला के निकला है,
पानी गर्म था इसलिए ये खयाल आया,
इस समंदर से तो सूरज नहा के निकला है,
.
जमीं पर दिन के उजाले में उसको देखा था
रात में देखा तो चांद आसमां से निकला है,
वहां पर आज तक सोना कभी नहीं निकला
जहां खोदा गया पानी वहां से निकला है,
उनको देखा तो कायनात मुझसे पूछ उठी
अतुल इतना हसीं 'मौसम' कहां से निकला है।।
- मौलिक व…
ContinueAdded by atul kushwah on July 7, 2014 at 6:30pm — 5 Comments
तुझे देखे अगर कोई जलन होती है सीने में,
सितम के सौ बरस गुजरें मोहब्बत के महीने में,
खुदाया क्या हुआ मुझको ये कैसा बावलापन है,
मैं खुद को जब भी देखूं तू दिखाई दे आईने में।।
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बेमतलब की बात बताने लगते हैं
खुद अपनी औक़ात बताने लगते हैं
नेता हैं वे राजनीति के मंचों से
सीने की भी नाप बताने लगते हैं।।
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अंधेरे घर में वो दीपक जला के निकला है
जिस्म की रूह से पसीना बहा के…
Added by atul kushwah on July 3, 2014 at 10:00pm — 3 Comments
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