उसने सिला गये बेसन को थाली में फैलाकर चूल्हे की गरम राख को थोडा सार कर उस पर रख दिया था ताकि पसीजन से आई बदबू खत्म हो जाए. आज पहली बार रमेश्या ने उसे ढाई सौ ग्राम तेल लाकर दिया था घर में. वरना तो वह अपनी सारी कमाई शराब में ही फूक देता था. वह भी काम से आते वक्त बीबी जी से दो प्याज माँगकर ले आई थी.
बाहर आसमान भी आज उसके घर में खुशी बरसाने के भाव मे था. चाँद का उजाला ना सही इस छोटे से सुख में घुमडते बादलों सा उसका मन झूम-झूम उठा था.
"आज ही तो तू आई थी मेरे जीवन में…
ContinueAdded by नयना(आरती)कानिटकर on July 31, 2017 at 7:45pm — 11 Comments
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