For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसने सिला गये बेसन  को थाली में फैलाकर चूल्हे  की गरम राख को थोडा सार कर उस  पर रख दिया था ताकि पसीजन से आई बदबू  खत्म हो जाए. आज पहली बार रमेश्या ने उसे ढाई सौ ग्राम तेल लाकर दिया था घर में. वरना तो वह अपनी सारी कमाई शराब में ही फूक देता था. वह  भी काम से आते वक्त बीबी जी से दो प्याज माँगकर ले आई थी.

बाहर आसमान भी आज उसके घर में खुशी बरसाने के भाव मे था. चाँद का उजाला ना सही इस छोटे से सुख में  घुमडते बादलों सा उसका मन झूम-झूम उठा  था.

"आज ही तो तू आई थी मेरे जीवन में और तूने मुझे संवार दिया, "अब से तेरे मन की" , कसम  से अब  कभी भी बोतल को हात ना लगाउँगा. उसने वादा किया था. मैं तेरे लिए  चोली-कपडा लेकर आता हूँ , कुछ रुपये तू भी मिला दे इसमे. रुपये लेकर   वह निकल गया था घर से.

वो पगली भी सब दुख भूल गई उसके दो मीठे बोल में . हाथ मूँह धोकर साफ़-सुथरे कपडे पहने. पहले दो-दो घूँट चाय बना  बच्चो को पिलाई. प्याज  काटकर पकौडॊ की तैयारी की. साग-रोटी बनाया. बच्चे बडे उमंग मे थे आज अपनी माँ का बदला रूप देखकर.

" अम्मा कुछ खास है क्या आज?"

"हा रे! तुम्हारा  बापू आज एक  वादा करके गया है मुझसे  ."

बच्चो ने बस एक दूसरे को देखा और  खा-पीकर सो गये.

वह इंतजार में थी कि रमेश आए तो संग खाए.  तभी गरम-गरम पकौड़ीयां  उतार लेगी.  . बाहर बादल चमकने के साथ-साथ जोर-जोर से गडगडा  कर बरस रहे थे.  ठंडी हवा की मीठी छुअन से उसकी आँखे उनिंदा हो चली थी कि जोर जोर  से दरवाजे की खडखडाहट से चेतन हुई

" कहाँ मर गई हरामजादी...हाथ में बोतल लिए ही ...  पकौडे...चल जल्दी ...उतार... ."

रमिया ने उसके हाथ से बोतल छीन उसके ही सर पर दे मारी. वो औंधा गिर पडा. नशे ने उसे वैसे भी कमजोर कर दिया था.

अब बादल अंदर भी बरसने लगे.  बस! पानी खारा था.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on August 2, 2017 at 3:12pm
स्वभावगत पत्नि पति का भरोसा कर लेती है।दो घड़ी का सुख जब टूटता है वह जानती कितनी पीड़ादायक होती है वे परिस्थितियाँ बधाई आद० नयना जी ।
Comment by VASUDHA GADGIL on August 2, 2017 at 1:23pm
सच... कहाँ तक सहेगी बेचारी।उम्दा,दो घडी का सुख
Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 9:50am

अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया नयना जी

Comment by pratibha pande on August 2, 2017 at 9:16am
कटु तीक्ष्ण और सत्य, कब तक विश्वास टूटने का सिलसिला सहा जाय। बधाई इस कथा के लिये आदरणीया नयना जी
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 2, 2017 at 8:58am
उम्दा लघुकथा हुई..सत्य को परिलक्षित करती हुई..सादर
Comment by Manisha Saxena on August 1, 2017 at 9:02pm

बढ़िया लघुकथा आ.नयना जी बधाई | 

Comment by Samar kabeer on August 1, 2017 at 6:44pm
मोहतरमा नयना जी आदाब,अच्छी लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 1, 2017 at 1:21pm

मार्मिक लघुकथा | हार्दिक बधाई नयना कानिटकर जी | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2017 at 11:24am

बहुत सुंदर कथा हार्दिक बधाइ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2017 at 9:32am

हार्दिक बधाई आदरणीय नयना जी।एक कटु सत्य से रूबरू कराती बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service