है सजी महफ़िल यारों
फिर से जख्मों को उठाओ
याद फिर कर लो उसे
जिससे मोहब्बत की थी यारों
फिर वही कुछ हँसते गाते
रुठते और फिर मनाते
अश्क़ जब आँखों में आये
गीत बन जब दर्द जाये
जख्म तुम सबको दिखाओ
फिर वही अपनी पुरानी
सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ
अपनी अपनी प्रेम कहानी |
उसको भी बतलाओ यारों
वो कहाँ और हम कहाँ हैं
हमने तो जख्मों को अपने
जीने का जरिया बनाया
गिर के खुद संभले जहाँ…
ContinueAdded by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 7:00pm — 11 Comments
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