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Rajni chhabra's Blog – July 2010 Archive (3)

बंजारा मन

जब बंजारा मन
ज़िन्दगी के किसी
अनजान मोड़ पे
पा जाता है
मनचाहा हमसफ़र
चाहता है,कभी न
रुके यह सफ़र
एक एक पल बन जाये
एक युग का और
सफ़र यूं ही चलता रहे
युग युगांतर

Added by rajni chhabra on July 12, 2010 at 10:13pm — 2 Comments

एक दुआ

एक दुआ

--------

वोह उम्र के उस रुपहले दौर से

गुज़र रही है

जब दिन सोने के और

रातें चांदी सी

नज़र आती हैं

जब जी चाहता है

आँचल में समेट ले तारे

बहारों से बटोर ले रंग सारे

जब आईने में खुद को निहार

आता है गालों पर

सिंदूरी गुलाब सा निखार

और खुद पर ही गरूर हो जाता है

जब सतरंगी सपनों की दुनिया मे खोये

इंसान खुद से ही बेखबर नज़र आता है

जब तितली सी शोख उड़ान लिए

बगिया में इतराने को जी चाहता है

जब पतंग सी पुलकित उमंग… Continue

Added by rajni chhabra on July 8, 2010 at 12:30am — 6 Comments

kirdaar

किरदार
-------
वक़्त के लम्बे सफ़र में
किरदार
यूं बदल जाते हैं
वोह, जो कल
चला करते थे
थामे अंगुली हमारी
वही आज
आगे बढ़
हमें राह
दिखाते हैं

Added by rajni chhabra on July 1, 2010 at 2:28pm — 3 Comments

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