2122 2122 212
दर्द को दिल में दबाना सीख लो
ज़िन्दगी में मुस्कराना सीख लो
आंख से आंसू बहाना छोड़िये
हर मुसीबत को भगाना सीख लो
ज़िन्दगी है खेल, खेलो शान से
खेल में खुद को जिताना सीख लो
फूल को दुनिया मसल कर फैंकती
खुद को कांटों सा दिखाना सीख लो
छोड़ दें अब गिड़गिड़ाना आप भी
कुछ तो कद अपना बढ़ाना सीख लो
थी जवानी जोश भी था स्वप्न भी
दिन पुराने अब भुलाना सीख लो
कौन…
ContinueAdded by Dayaram Methani on July 4, 2019 at 9:30pm — 8 Comments
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