गागा लगा लगा /लल /गागा लगा लगा
तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया,
चलने से राह-ए-कुफ़्र पे इनकार कर दिया.
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मै ज़ीस्त के सफर में गलत मोड़ जब मुड़ा,
मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.
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इज़हार-ए-इश्क़ में वो नज़ाकत नहीं रही, …
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on August 25, 2014 at 6:00pm — 33 Comments
१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
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इरादे मैं यकीनन आज भी छोटे नहीं रखता,
मगर आँखों में अब अपनी तेरे सपने नहीं रखता.
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बड़ी शिद्दत से अपने इश्क़-ओ-रंजिश मै निभाता हूँ
ख़बर रखता तो हूँ सबकी मगर फ़ितने नहीं रखता.
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दिखाएगा वही सबको जो होंगे सामने उसके,
छुपाकर आईना कोई कभी चेहरे…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on August 17, 2014 at 9:30pm — 7 Comments
जैसे जैसे बिख़री रात,
बिस्तर बिस्तर पिघली रात.
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चाँद के साथ बदलती रँग,
काली भूरी कत्थई रात.
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चाँद ज़मीं पर उतरा था,
हुई अमावस पिछली रात.
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एक शम’अ थी साथ मेरे,
फिर भी तन्हा सुलगी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on August 12, 2014 at 10:24pm — 15 Comments
22121211221212
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जब रात ढल गई तो सितारे भी घर चले,
कुछ रिंद लड़खड़ाके चले थे, मगर चले.
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कुछ सोचने दो मुझ को कमाई का रास्ता.
शेरो सुखन के दम पे भला कैसे घर चले.
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क्या है पड़ी मुझे कि जियूँ मै तेरे बग़ैर,
जब दिल की धड़कने हों थमीं, क्यूँ जिगर चले?
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अब छोड़िये भी फ़िक्र हमारी हुज़ूर आप, …
Added by Nilesh Shevgaonkar on August 10, 2014 at 11:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल ..
गाल गाल गा गा ///// गा गा लगा लगा
मक्ते से पहले वाले शेर में तकाबुले रदीफ़ है लेकिन solution के आभाव में उसे ऐसे ही स्वीकार किया है.
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रंग हम जहाँ में क्या क्या मिला गए
हार कर लो खुद को सब को जिता गए.
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सब कहें पुराना किस्सा सुना गए,
गो बता के सबकुछ सबकुछ छुपा गए.
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कुछ कहार मिलकर कमरा सजा गए,
और फिर उसी में तन्हा सुला गए.
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ख़ाक सबने डाली इसका गिला करें क्या,
हाड माँस मिट्टी, मिट्टी बिछा गए.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on August 9, 2014 at 12:30pm — 11 Comments
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