For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar's Blog – August 2014 Archive (5)

ग़ज़ल ..तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया

गागा लगा लगा /लल /गागा लगा लगा 



तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया,

चलने से राह-ए-कुफ़्र पे इनकार कर दिया.

.

मै ज़ीस्त के सफर में गलत मोड़ जब मुड़ा,

मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.

.

इज़हार-ए-इश्क़ में वो नज़ाकत नहीं रही, …

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on August 25, 2014 at 6:00pm — 33 Comments

ग़ज़ल -ख़ताएँ कुछ रही होंगी, सज़ाए ज़िन्दगी लायक

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२ 

.

इरादे मैं यकीनन आज भी छोटे नहीं रखता,

मगर आँखों में अब अपनी तेरे सपने नहीं रखता.  

.

बड़ी शिद्दत से अपने इश्क़-ओ-रंजिश मै निभाता हूँ 

ख़बर रखता तो हूँ सबकी मगर फ़ि
तने नहीं रखता.

.

दिखाएगा वही सबको जो होंगे सामने उसके,

छुपाकर आईना कोई कभी चेहरे…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on August 17, 2014 at 9:30pm — 7 Comments

छोटी बह्र की एक ग़ज़ल-रात

जैसे जैसे बिख़री रात,

बिस्तर बिस्तर पिघली रात.

.

चाँद के साथ बदलती रँग,

काली भूरी कत्थई रात.

.

चाँद ज़मीं पर उतरा था,

हुई अमावस पिछली रात.

.

एक शम’अ थी साथ मेरे,  

फिर भी तन्हा सुलगी…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on August 12, 2014 at 10:24pm — 15 Comments

एक ग़ज़ल -जब दिल की धड़कने हों थमीं, क्यूँ जिगर चले?

22121211221212

.


जब रात ढल गई तो सितारे भी घर चले,

कुछ रिंद लड़खड़ाके चले थे, मगर चले. 

.

कुछ सोचने दो मुझ को कमाई का रास्ता. 

शेरो सुखन के दम पे भला कैसे घर चले. 

.

क्या है पड़ी मुझे कि जियूँ मै तेरे बग़ैर, 

जब दिल की धड़कने हों थमीं, क्यूँ जिगर चले? 

.

अब छोड़िये भी फ़िक्र हमारी हुज़ूर आप, …

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on August 10, 2014 at 11:00pm — 4 Comments

ग़ज़ल ..आँख मूँदते ही ....सारे ख़ुदा गए.

ग़ज़ल ..

गाल गाल गा गा ///// गा गा लगा लगा  

मक्ते से पहले वाले शेर में तकाबुले रदीफ़ है लेकिन solution के आभाव में उसे ऐसे ही स्वीकार किया है. 

.

रंग हम जहाँ में क्या क्या मिला गए

हार कर लो खुद को सब को जिता गए.

.

सब कहें पुराना किस्सा सुना गए,

गो बता के सबकुछ सबकुछ छुपा गए.

.

कुछ कहार मिलकर कमरा सजा गए,

और फिर उसी में तन्हा सुला गए.

.

ख़ाक सबने डाली इसका गिला करें क्या,

हाड माँस मिट्टी, मिट्टी बिछा गए.…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on August 9, 2014 at 12:30pm — 11 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service