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जब भी देखूँ वो मुझे चाँद नज़र आता है !
रोशनी बन के दिलो जाँ मे समा जाता है !!
उस हसीं शोख़ का दीदार हुआ है जब से !
उसका ही चेहरा हरेक शै में नज़र आता है !!
मै मनाऊँ तो भला कैसे मनाऊँ उसको !
मेरा महबूब तो बच्चो सा मचल जाता है !!
क्यूं भला मान लूँ ये इश्क़ नहीं है उसका !
छु्पके तन्हाई में गीतों को मेरे गाता है !!
मैं तुझे चाँद कहूँ फूल कहूँ या खुश्बू !
तेरा ही चेहरा हरेक शै…
Added by SALIM RAZA REWA on August 22, 2017 at 11:00pm — 21 Comments
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