घर के बाहर खुले आंगन में चेहरा लटका कर बैठे देख उसकी माँ ने उसके पास जाकर उसके सिर पर हाथ रखा और कहा, "परेशान मत हो, अगली बार बेटा ही होगा।"
"नहीं माँ, अब बस। दो बच्चे हो गए हैं, तीसरा होने पर इन दोनों बच्चियों की परवरिश भी अच्छी तरह नहीं कर पाऊंगा।" वहीँ पालने में सो रही अपनी नवजात बेटी को देखते हुए उसने उत्तर दिया।
माँ के पीछे-पीछे तब तक आज ही हस्पताल से लौटी अंदर आराम कर रही उसकी पत्नी को तरह-तरह के निर्देश देकर कुछ और महिलायें भी बाहर आ गयीं थीं। उनमें से…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 4, 2017 at 12:27pm — 5 Comments
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