रुसवाईयां ही रुसवाईयां
दूर तलक गम की
कोई ख़ुशी नही है अब
चैन कहाँ मिले...
परछाईयां ही परछाईयां
हर वक़्त अतीत की
कोई भोर नही है अब
रोशनी कहाँ मिले...
अंगड़ाईयां ही अंगड़ाईयां
रोज एक थकन की
कोई आराम नही है अब
कहाँ शाम ढले...
तन्हाईयां ही तन्हाईयां
इस अकेलेपन की
कोई साथ नही है अब
जीना है अकेले...
न ख़ुशी न सुकून
न आराम
न साथ किसी का
फिर भी जिए जा रहा हूँ....…
Added by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2013 at 12:30am — 26 Comments
मैं तेरा हूँ बस तेरा
तेरे दिल में मेरा बसेरा
मेरे दिल में तेरा ही डेरा
सारी उम्र तू हसीन कर ले
मुझ पर तू यकीन कर ले.....
क्यूँ बार बार दिल तोडती है
इरादों को यूँ मोड़ती है
जब किस्मत हमें जोड़ती है
दूरियों को तू महीन कर ले
मुझ पर तू यकीन कर ले.....
आजा छोटा सा जीवन है
चार दिनों का यौवन है
हर मौसम ही सावन है
खुशी को तू आमीन कर ले
मुझ पर तू यकीन कर ले....
हम दोनों है…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on August 22, 2013 at 6:30pm — 28 Comments
तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं
जब भी सोया अकेली रातों में
डूबता रहा तुम्हारी बातों में
कभी थे हाथ, तेरे हाथों में
हाँ! तुम ही तुम महकती थीं
तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं
जब होती थीं तुम तन्हाई में
विरह की सम्वेदित अंगड़ाई में
भावों की असीम गहराई में
साध चुप्पी, तुम बिलखती थीं
तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं
मुझे याद है वे सारे पल
वह परसों, आज और कल
जब टूटा था…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on August 8, 2013 at 5:00pm — 26 Comments
आज सच तुझसे कहूँ
बिन तेरे कैसे रहूँ
इक दिन न इक रात
अन्तरंग यह बात...
सांसों में अब मिठास है
कड़वाहट अब न पास है
जब से तू है साथ
अन्तरंग यह बात...
जुल्फ तेरी घनघोर घटा
लहराएँ तो सर्द हवा
प्यार तेरा बरसात
अन्तरंग यह बात...
नयन तेरे मधुशाला हैं
बाहें तेरी, मेरी माला हैं
पाक मेरे जज्बात
अन्तरंग यह बात...
मर जाऊं मिट जाऊं मैं
तुझ संग ही जी पाऊँ…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 11:00pm — 27 Comments
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