2122 1212 22
जबसे मुझसे बिछड़ गया है वो
सबमें मुझको ही ढूढ़ता है वो
मैंने मांगा था उससे हक़ अपना
बस इसी बात पर खफ़ा है वो
मेरी तदवीर को किनारे रख
मेरी तक़दीर लिख रहा है वो
पत्थरों के शहर में जिंदा है
लोग कहते हैं आइना है वो
उसकी वो ख़ामोशी बताती है
मेरे दुश्मन से जा मिला है वो
संजू शब्दिता
मौलिक व अप्रकाशित
Added by sanju shabdita on September 25, 2014 at 5:00pm — 26 Comments
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