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Dr. Vijai Shanker's Blog – September 2021 Archive (1)

क्षणिकाएं (२०२१ -१ )- डॉo विजय शंकर

जो समझते हैं

वे जमे पड़े हैं ,

ये ख्याल है उनका ,

सच में तो वे

केवल पड़े हैं। .........1 .

छत पड़ी भी नहीं

और बुनियाद खिसक रही है ,

वो महल बनाने चले थे

कितनों की झोपड़ी भी उजड़ गई ,

लोग फिसल रहे हैं या उनके

पैरों के नीचे जमीन खिसक रही है। ......... 2 .

यूँ ही सफर में ही गुजर जाए , जिंदगी

अच्छा है ,

जिनकी तलाश हो

वो मंजिलों पे मिला नहीं करते ll ......... 3 .

मौलिक एवं…

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Added by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2021 at 8:30pm — 13 Comments

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