Added by Manan Kumar singh on September 29, 2015 at 2:59pm — 4 Comments
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन
तू भले कुछ भी कहे मैं कामना करता रहूँगा
रूप रस की चाहना- आराधना करता रहूँगा।
जल रहा संसार खुद से आग अपनी ही जलाये
बाँट आया प्यार घर- घर याचना करता रहूँगा।
जो लगाते आग चलते ज्वाल उनको हो मुबारक
मैं चला हूँ मेघ बनकर साधना करता रहूँगा।
दे रही जो दर्द चपला कर सकूँ बे-दर्द उसको
हो धरा मैं सोंख लूँ यह कामना करता रहूँगा।
आदमी हो आदमी का हो गया सब भूलकर भी
आदमी के हित रहूँ मैं प्रार्थना करता…
Added by Manan Kumar singh on September 22, 2015 at 10:00pm — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on September 10, 2015 at 10:00am — 9 Comments
Added by Manan Kumar singh on September 7, 2015 at 8:26pm — 5 Comments
हर तरफ आखिर हँसी छा गयी है
आज कौवे को चिड़ी भा गयी है।
काँव कितनी बार करता रहा वह,
ठाँव उसके आज मैना गयी है।
टक लगा बगुला रहा था कभी से,
चोंच मछली एक छलक आ गयी है।
देख वंशी है लगी हो कहीं कुछ,
लोग बोलें टोना' ले जा गयी है।
साँढ़ बूढ़ा कुलबुलाया शहर में,
देख बछिया खुद अचंभा गयी है।
विश्व-जय सी हो गयी तो अभी है
कंत-घर अमृत नवोढ़ा गयी है।
बाग़ में बुलबुल अभी गा रही थी,
क्यूँ न जाने चुप हवा छा गयी…
Added by Manan Kumar singh on September 6, 2015 at 7:30pm — 5 Comments
Added by Manan Kumar singh on September 3, 2015 at 7:53am — 12 Comments
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