For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल छंद-दिक्पाल/मृदुगति
मापनी221 2122 221 2122
होता वही कभी जो चाहा किया समय है
होता रहा कभी जो करता चला समय है।
चाहा बहुत कि मोडूँ उलटा चलन हुआ कब
मानी न ही कभी तो उसने बड़ा समय है।
खूबी रही वही हाँ ना की अभी कहूँ तो
छू ले गगन अभी वो सीढ़ी लगा समय है।
चाहा उसे बना दूँ अवतार नज्म का मैं,
उड़ती रही घटा सी हर पल रहा समय है।
उसकी अदा नफीसी कैसे करूँ बयाँ मैं,
नजरें बचा नजर कर लेती फिरा समय है।
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on September 17, 2015 at 9:01pm
आदरणीय मनन कुमार सिंह सर जी
मैं पूर्व की टिप्पणी की क्षमा चाहता हूँ
मुझमे इतनी योग्यता नहीं है
आप कृपिया अन्यथा न लेकर मुझे क्षमा कर दें
सादर
Comment by Manan Kumar singh on September 17, 2015 at 8:55pm
आदरणीय मनोज जी,आपकी रूचि और गुणग्राहकता सराहनीय है,योग्यता भी रखते हैं;जहाँ तक शेर दर शेर की समीक्षा की बात है तो यदि आप ही करें तो बेहतर ।
Comment by मनोज अहसास on September 12, 2015 at 9:53pm
नमस्कार आदरणीय
अब इतने ज्ञानी गुणी ग़ज़लकारों ने जब इसे बहुत खूब ग़ज़ल कह दिया है तो इसमें किसी तरह का दोष हो पाना संभव नहीं है
पर मुझे इस ग़ज़ल के भाव समझ नहीं आते
शब्दों को जिस ढंग से आपने गूँथा है लगता है बहर की मात्राएँ गिनकर शब्द की मात्राएँ गिनकर समायोजन किया गया है
गुस्ताखी के लिए माफ़ी सर
पर किसी योग्य ग़ज़लकार द्वारा शेर दर शेर इस ग़ज़ल की समीक्षा हो जाय
तो मुझे भी भाव स्पष्ट हो जायेगे के बहुत बढ़िया ग़ज़ल है
वैसे ये बात बिना कहे भी रह सकता था परंतु ग़ज़ल सीखने के क्रम में मुझे गुरुजनों का आदेश है कि कोई बात समझ न आये तो पूछी जाये
अपना अनुज समझकर यदि आप इस ग़ज़ल को समझा दें तो कृपा होगी
आशा है आप अनयथा नहीं लेंगे
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 11, 2015 at 2:35pm

बढ़िया प्रयास हुआ है ... बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2015 at 11:35pm
प्रयासरत रहें।।शुभ शुभ
Comment by Samar kabeer on September 10, 2015 at 10:45pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,इस सुन्दर प्रयास हेतु बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 10, 2015 at 9:17pm

आदरणीय मनन भाई , गज़ल का बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है , आपको दिली बधाइयाँ ।

Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2015 at 8:11pm
सादर शकूर जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 6:12pm
अच्छा प्रयास है आदरणीय मनन जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
10 hours ago
Admin posted discussions
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service