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Chetan Prakash's Blog – September 2022 Archive (4)

ग़ज़ल : बहुत वो देर लगी आग दिल लगाने में

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बहुत  सी देर लगी आग दिल  लगाने  में 

उन्होंने खेल जो खेला उसे  उसे मिटाने में 

अभी तो आप नहीं भूल पाए प्यार सनम !

लगेगा वक़्त अभी आग वो  बुझाने  में 

वो रात कल भी तो गुज़री है भारी मुझ पर जाँ 

 अभी कोशिश मिरी बस ज़िन्दगी बनाने में

तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा हमें रुलाकर भी

कि शम'अ बुझ अभी जाती है आज़माने…

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Added by Chetan Prakash on September 19, 2022 at 3:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल: : हिन्दी

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बह्रे  हजज़  मुसम्मन सालिम 

जो बोला है  वही लिखती मेरा सम्मान है हिन्दी 

है बिन्दी माँ के  माथे सी पिता का मान है हिन्दी 

तुम्हारी माँ अग्रजा मम शिखा का मान है हिन्दी

है सरकारी वो रोटी आज भोजन आन है हिन्दी

खड़ी बोली है हरियाणा कि  दिल्ली प्रान है हिन्दी 

न है अनजान  कोई उससे मेरी शान है हिन्दी 

कहूँ क्या आपसे साथी स्वयं भण्डार भाषा है

वो सुमधुर गीत फिल्मों के बड़ा…

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Added by Chetan Prakash on September 16, 2022 at 7:30pm — No Comments

गज़ल

ग़ज़ल

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रहे जिससे मरासिम थे वही अखबार निकला

मुसीबत है अभी जीवन निरा श्रृंगार निकला

शबे ग़म दिल मिरा टूटा रही वो आँख रोती

कई दिन हो गये सूरज न वो संसार निकला

अँधेरे अधखुली आँखों मुझे अब देखते हैं

बुरा हो इश्क़ तेरा यार वो अख़बार निकला

न कोई दोस्त है दुनिया न ही हमदम यहाँ है

जिसे गलहार समझा था अभी खूँख़्वार निकला

न हमजोली बचा है आज तो…

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Added by Chetan Prakash on September 12, 2022 at 8:30pm — No Comments

कह मुकरियाँ

         ( 1 )

आ जाये दिल खुश हो जाये

चला जाय तो भादों आवे

चाकर बन पैरों गिर पसरा

क्या सखि  साजन ? ना सखि भँवरा !

           ( 2 )

दादुर मोर पपीहा बोले 

कोयल सी वो  बोली बोले 

समीर बहती है दिल-आँगन 

क्या सखि साजन ? ना सखि सावन !

           ( 3 )

पोर- पोर में रस भर जावे

चहुँओर मुरलिया सी बाजे

खुशियों का नहीं जग में अंत

क्या सखि साजन ? ना सखि…

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Added by Chetan Prakash on September 4, 2022 at 3:36pm — No Comments

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